पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ ने दुनियां की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर फतह हासिल कर पूरी दुनियां में छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाया है। नैना ने अपने बुलंद हौसलों के साथ एवरेस्ट की चोटी (8885.86 मीटर) और लोत्से की चोटी (8516 मीटर) पर फतह करने वाली छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला पर्वतारोही होने का गौरव भी पाया है। बस्तर की बेटी नैना सिंह की बीहड़ से उठकर माउंट एवरेस्ट की कठिन चड़ाई में जीत हासिल करना, अंचल की बेटियों के लिए बहुत खास है। बेटियां किसी से कम नहीं है लेकिन अवसर मिलेगा तभी तो बेटी आगे बढ़ेगी, इस बात को बस्तर जैसा आदिवासी अंचल की बेटियां बखूबी समझती हैं। मूलभूत सुविधाओं के आभाव में भी जब नैना सिंह धाकड़ जैसी बेटी बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेती हैं तो उन जैसे लाखों और बेटियों को नई दिशा मिलती है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश के वनांचल जिला जगदलपुर से करीब 10 किलोमीटर दूर गांव एक्टागुड़ा की रहने वाली हैं महिला पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़। कहते हैं कि पिता का साया बचपन से ही उठ गया था और मां ने ही परिवार को पाला, बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई। नैना ने जगदलपुर से ही हायर सेकंड्री और स्नातक की शिक्षा ग्रहण करके 2009 से ही पर्वतारोहण को अपना कैरियर चुना। 10 वर्ष की कठिन परिश्रम का प्रतिफल उनको 1 जून 2021 को मिला जब उन्होंने एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा दिया। शान से लहराते तिरंगे के साथ नैना ले बेटी बचाओ बेटी पढ़ाव का संदेश भी दिया।
jayant sahu |
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