कचना धुरवा मंदिर बारूका, गरियाबंद छत्तीसगढ़

यात्रा वृतांत : कचना धुरवा मंदिर


छत्तीसगढ़ का गरियाबंद जिला अपनी प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों के अलावा कई ऐतिहासिक किवदंतियों की साक्षी है। गरियाबंद जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर राजिम रोड पर एक गांव है बारूका। यह ग्राम राजधानी रायपुर से राजिम-गरियाबंद मार्ग में 77 किलोमीटर दूर है। इस अंचल में बुढ़ादेव के उपासक राजा धुरवा की वीरता और रानी कचना की प्रेम कहानी प्रचलित है। गरियाबंद और धमतरी अंचल के अनेक गांव में कचना धुरवा का मंदिर मिलता है। 



आज हम बारूका गांव के कचना धुरवा मंदिर में पहुंचे है। ऐसा कहा जाता है कि मार्ग से गुजरने पर इस मंदिर में रूक कर राजा धुरवा का दर्शन करना होता है। राजिम गरियाबंद मुख्य मार्ग के सड़क किनारे में होने के कारण यहां हमेशा दर्शनार्थियों का ताता लगा रहता है। यह मंदिर धरातल से लगभग 15 फीट की उचाई में है। 



मंदिर में प्रवेश करते ही प्राचीनता का बोध नहीं क्योंकि मंदिर परिसर का नव निर्माण किया गया है। किन्तु जैसे ही हम कचना धुरवा के देव स्थल पर पहुंचते है ऐतिहासिक्ता की सच्चाई सामने आ जाती है। सफेद घोड़े पर सवार राजा धुरवा की प्रतिमा अंचल में प्रचलित किस्से- कहानी की कड़ियां जोड़ती है। क्योकि इस अंचल में कचरा धुरवा की जितनी भी प्रतिमाएं मिली है सभी में समानताएं रही है। इस वजह से प्रचलित किवदंतियों को नकारा नहीं जा सकता है। कचरा धुरवा को जानने के लिए हमें इस अंचल में और भी घूमना पड़ेगा फिलहाल इस मंदिर का ही दर्शन कर लेते है। 

अभी नवरात्र पर्व है इस वजह से यहां कफी भीड़ है। कचना धुरवा देव स्थल पर जहां अखंड ज्योति प्रज्वलित हो रही है। भक्त नारियल अगरबत्ती देवश्री को अर्पित कर रहे है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु यहा नारियल बांधते है। इस परिसर में ग्राम देवी रूपई माता, बंजारी माता और सोनई माता का मंदिर भी है। यहां प्रत्येक​ नवरात्र में अखंड ज्योति जलती है। इसके अलावा गुरूदेव संत श्री ब्रम्हलीन सिया भुनेश्वरी शरण व्यास जी का मंदिर है साथ ही हनुमान जी का भी छोटा सा मंदिर बना हुआ है। 



लोग यहां कचरा धुरवा की विरता और उनके प्रेम के किस्से से कही ज्यादा बुढ़ादेव के उपासना, भक्ति और तप की चर्चा करते हुए देवश्री का दर्शन कर अपने आप को धन्य मानते है। जय बुढ़ादेव, जय कचना धुरवा, जय जगदंबा।


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- जयंत साहू
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