नियम-कायदों को ताक में रखकर कमल विहार

रायपुर विकास प्राधिकरण की कमल विहार योजना कछुए की चाल से अपना आकार ले रहा है। शुरू से ही विवादों में रहा कमल विहार में शासन को क्या विशेष रूचि है ये तो वे ही जाने। तमाम नियमों को ताक में रख कर विरोध और विवादों को अनदेखा कर विभागिय मंत्री-अफसर कमल खिलाने को आमद हैं। कमल विहार क्षेत्र से निकले नहर भी अब विलुप्त हो चुका है आने वाले बरसात में डूण्डा, बोरियाखुर्द, कांदूल, काठाडीह, पुरेना के किसानों को सिचाई के लिए अब नहरों से पानी नहीं मिल पायेगी।
गर्मी के दिनों में गांवों के तालाबों को भी अब सुखा ही रहना पड़ेगा क्योंकि गंगरेल से उनका संपर्क टूट चुका है। बोरियाखुर्द के गजराज बांध को भी जल संकट से जूझना होगा। बांध से निकले वाली बोरिया नाली भी टूट चुकी है। अनेक किसानों को कमल विहार क्षेत्र में न होते हुए भी कमल विहार का दुख झेलना है क्योंकि इन्ही रस्तों से होकर तो उन तक सिचाई के लिए पानी उपलब्ध होते है। स्वार्थ से फलीभूत होकर चलाये जा रहे कमल विहार योजना में न जाने और कितने नियमों को ताक में रख काम किया जावेगा। खैर सरकार उनकी है जो चाहे करें। 
भू-स्वामियों की हो मुनाफे में हिस्सेदारी - इस योजना के बारे में शासन पहले ही कह चुका है कि इसमें किसानों और भू-स्वामियों से किसी भी तरह से विकास राशि नहीं ली जायेगी किन्तु सरकार धनराशि लेने के बजाय जो भूमि ले रही वही अनमोल धन है। यदि वास्तव में यह योजना गरीबों और छोटे भू-स्वामियों के हित में है तो भूमि विकास के नाम पर अधिग्रहित भूमि में प्राधिकरण द्वारा प्लाट बेचकर जो मुनाफा कमाई जायेगी उसमें भी भू-स्वामियों को शेयर मिलना चाहिए। सीधे-साधे किसानों को विकसित भूखंड देने का प्रलोभन देकर सहमति पत्र भरवाया गया। सिर्फ सहमति पत्र के आधार पर किसानों से उनकी भूमि की रजिस्ट्री भी करवा दिया जा रहा है ताकि बाद में किसानों का मन न बदलें। किसान और छोटे भू-स्वामी विकसित भूखंड पाने के लोभ में अपना जमीन गवां रहे है। रायपुर विकास प्राधिकरण की कमल विहार का कोई भी हिस्सा अभी पूरी तरह से तैयार भी नहीं हुआ और किसानों के नाम की जमीन का रजिस्ट्री भी हो गया है। कुछ मामले कोर्ट में है। टेंडर भी निकलने शुरू हो गये है।
बसे बसाए घर से बेघर हो रहे बांसिदें- राविप्रा अपने अहम और हठ योजना को पूरा करने के लिए पूरी ताकत के साथ डूण्डा, देवपुरी, बोरिया खुर्द, लालपुर, डूमरतराई की कृषि भूमि को समतल कर अब ग्रामीणों के मकानों को तोड़ने की तैयारी कर रही है। कमल विहार क्षेत्र में बड़ी संख्या में ग्रामीणों के पक्के मकान है जिन्हे नोटिस देकर मकान खाली करने को कहा जा रहा है। इनकी मंशा से तो यही लगता है कि वे गांवों की छोटी-छोटी मकानों को गंदी बस्ती समझते और कमल विहार के सुंदरता में बाधक मान कर तोड़ा जा रहा है। यदि सचमुच में वे लोगों को बसाना चाहते है तो फिर उनको विकसित भूखंड देने का लोभ देकर बसे बसाए घर से बेघर क्यों किया जा रहा है। उनके घरों को ही कमल विहार के मुताबिक विकसित करके घर को टूटने से  बचाया जा सकता है। अब तक के विकास कार्यों को देखे तो केवल रोड़ ही रोड़ नजर आ रहे है। जो कभी पेड़ों और फसलों से आच्छादित धरा हुआ करती थी आज वहां रोड़ निर्माण से धूल के उड़ते गुबार देखे जा सकते है। रोड़ निमार्ण में जो बाधक बन रहा है उसे रास्ते से हटा दिया जा रहा है। कुछ दिन पहले ही डूण्डा के छ: मकानों को गिरा कर वहां की जमीन को समतल करके रोड़ बना दिया गया। किन्तु वहीं मकानों के पास ही संचालित अंग्रेजी शराब दुकान को हाथ तक नहीं लगाया गया है।
कमल विहार की शान डूण्डा शराब दुकान ! - डूण्डा का अंग्रेजी शराब दुकान रायपुर-धमतरी मेन रोड़ में होने कारण रोज शराबियों के मेले लगे रहते हैं। उस रास्ते से रोजाना हजारों मजदूर रोजी-रोटी कमाने के लिए रायपुर आते है और काम करके वापस लौटते समय अपनी आधी कमाई रोज उस शराब दुकान में लुटा देते है। आस-पास के गांव की औरतें तथा लड़कियां रायपुर आते-जाते हुए सिर झुकाकर रास्ते से गुजरती है क्योंकि शराब दुकान में आए दिन असमाजिक तत्वों का जमावड़ा, असुरक्षित माहौल गाली-गलौच और रोड़ तक शराबियों की हुजूम लगी रहती है। कमल विहार परियोजना बनने से लोगों में एक उम्मीद नजर आई थी कि अब शायद ये शराब दुकान बंद हो जायेगी। किन्तु अभी तक शराब दुकान का बाल भी बांका नहीं हुआ है। कहीं ऐसा न हो कि कमल विहार से शराब दुकान को हटाकर डूण्डा, बोरियाखुर्द या सेजबाहर के बस्ती में स्थानांतरित कर दिया जाए, शासन के मनमानी रवैये तो यही कयास लगाया जा सकता है। डूण्डा अंग्रेजी शराब दुकान को पूरी तरह से बंद किया जाना चाहिए उसे कहीं और स्थानांतरित नहीं किया जाए। शासन जितनी फूर्ती कमल विहार प्रोजेक्ट में दिखा रही उतनी ही सूस्ती शराब दुकान हटाने में लगा रही है। यदि आप स्वच्छ और सुंदर शहर बसाने की मंशा लेकर नया बस्ती बसा रहे है वहां शराब दुकान क्यों चलाने दिया जा रहा है समझ से परे है। बस्ती बसी नहीं कि लुटेरे आ गये वाली कहावत से तो सरकार चार कदम आगे ही चल रहे हैं क्योंकि अभी बस्ती बसी ही नहीं और शराब दुकान पहले ही खुलवा दी गई। इसीलिए शराब दुकान को कमल विहार की शान कहें तो ज्यादा उचित होगा।

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