अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष : योग के बहाने भारत की वैश्विक धमक

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"जिस प्रकार विश्व स्तर पर योग को अपनाये जाने लगे हैं, ऐसा कहा जा सकता है कि भारत का मान बढ़ा है। अनेक विकसीत, विकासशील देश अब भारत को कमतर नहीं आंकता। भारतीय लोकतांत्रिय प्राणाली के साथ ही यहां की कला-संस्कृति की अपनी विशिष्टता है। प्रबल सैन्य शक्ति से सुरक्षा व सुदृढ़ अर्थव्यस्था से आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ते भारत का स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग ने वैश्विक धमक बढ़ाया है।"

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अब तो दुनिया ने भी मान लिया है कि योगा से ही होगा। जिस प्रकार आम जन-जीवन में असंतुलित दिनचर्या का समावेश होने के साथ ही रासायनिक खाद से उपजे खाद्य पदार्थों का सेवन हो रहा है, यह कहना मुश्किल हो गया है कि मनुष्य की आयु कितनी होगी? कहा जाता है कि मनुष्य की आयु 100 वर्ष की है लेकिन वर्तमान समय में शतकीय आंकड़े तक बहुत कम ही लोग पहुंच पाते हैं। इस विषय पर एक अध्ययनकर्ता ने दावा किया है कि जिन व्यक्तियों ने 100 वर्ष की आयु बिना किसी गंभीर बीमारी के स्वस्थ जीवन जिये, वें नियमित योग करते थे। उनके जीवन में प्राकृतिक वस्तुओं का अधिक उपयोग होता था। इस आधार पर अब दुनिया ने योग के साथ निरोग शब्द को जोड़ा और कहा जाने लगा ‘योग से होंगे निरोग’।

भारत में 5000 वर्ष पहले से इस विधी द्वारा मनुष्य लंबी आयु तक जीवित रहते थे, खास कर ऋषि परंपरा के लोग। साथ ही वे योग के ज्ञान को जन मानस में भी प्रचारित करते थे। योगाभ्यास की भारतीय पुरातन परंपरा के आसन न केवल शारीरिक व्यायाम है बल्कि यह एक ऐसी क्रिया है जो आत्मा से परमात्मा का मेल कराता है। इसे शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य का अद्भुत विज्ञान भी माना जाता है। योग के इस वैज्ञानिक पक्ष को दुनिया ने स्वीकारा है। योग से निरोग रहने के गुण को वैश्विक पटल पर लाने का श्रेय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है जिनकी पहल पर पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर में 21 जून 2015 को योग दिवस मनाया गया था।

21 जून को ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के पीछे कारण बताया गया है कि यह दिन 365 दिनों में सबसे बड़ा दिन है, जो मानव के दीर्घ जीवन काल को दर्शाता है। प्रधानमंत्री द्वारा 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आह्वान किया गया था। तदोपरांत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 माह के भीतर 11 दिसंबर 2014 को दुनिया भर में योग दिवस मनाने का ऐलान करते हुये कहा कि हर साल 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाया जायेगा। तब से प्रतिवर्ष दुनिया भर में भारतीय योग सिद्धांत का अनुशरण हो रहा है।

जिस प्रकार विश्व स्तर पर योग को अपनाये जाने लगे हैं, ऐसा कहा जा सकता है कि भारत का मान बढ़ा है। अनेक विकसीत, विकासशील देश अब भारत को कमतर नहीं आंकता। भारतीय लोकतांत्रिक प्राणाली के साथ ही यहां की कला-संस्कृति की अपनी विशिष्टता है। प्रबल सैन्य शक्ति से सुरक्षा व सुदृढ़ अर्थव्यस्था से आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ते भारत का स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग ने वैश्विक धमक बढ़ाया है। 

योग दिवस पर प्रमुख प्रस्तावक देश होने के कारण भारत की जिम्मेदारी और अधिक होती है, देश भर में योग के अनेक कार्यक्रम आयोजित होता है। एक तरह से कहा जाए तो देश योगमय हो जाता है, योग का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बने हैं। हालांकि एक दिन के आयोजन से ही निरोगी नहीं हुआ जा सकता लेकिन इस तरह के आयोजनों से समाज में योग के प्रति सकारात्मक सोज विकसित होती है। हो भी क्यों न, स्वस्थ और निरोगी काया के लिये योग को अपनाना आज के डिजिटल दौर में और भी जरूरी हो जाता है। जो अब तक योग को नहीं अपनाये है वें 21 जून से संकल्प के साथ नियमित दिनचर्या में शामिल कर दीर्घायु पा सकते हैं।      

- जयंत साहू, रायपुर [98267-53305]


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