आदेश के षड्यंत्र में उलझा खाद सब्सिडी और अतिरिक्त नि:शुल्क चावल



शासन-प्रशासन मौके की नजाकत को देखते हुए, सोशल मीडिया अथवा अखबार आदि माध्यमों से जनहितकारी फैसलों को त्वरित प्रचारित करवाता है। और जब लाभार्थी उस योजना का लाभ लेने पहुंचते हैं तो कहा जाता है कि अभी आदेश नहीं हुआ है। ऐसा अकसर देखा गया है कि ग्रामीण अंचलों के गरीब किसानों को आदेश न होने की तर्ज कर मिलने वाली सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता है। 

इन दिनों छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों से जुड़ी खाद सब्सिडी और नि:शुल्क अतिरिक्त राशन देने की घोषणा को महीना बीतने को है लेकिन आम जनता को एक बड़े षडयंत्र के तहत लाभ नहीं दिया जा रहा है। जिम्मेदार अफसर खुद इस बात को स्वीकार रहे हैं कि दोनों ही मामलों में घोषणा हुआ है। किन्तु लाभ देने की बात आदेश में आकर खत्म हो जाता है। 

किसान मानसून के पूर्व ही खाद, बीज की तैयारियों में जुटा है और सरकार इस महामारी के दौर में उनको राहत देने के बजाए खाद की कीमत बढ़ाकर और मुसीबत खड़ी कर रहा है। जो खाद 1200 रूपये का था उसका 1900 रूपये और 850 रूपये का था उसको 1000 रूपये कीमत में किसानों को दिया जा रहा है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के खाद गोदाम से किसानों को बढ़ी हुई कीमत पर ही खाद उठाने को कहा जा रहा है। 

किसानों ने जब उच्च अधिकारी तक अपनी बात रखी तो उनका जवाब भी आदेश न आना ही था। किसानों की समस्या पर वे इतना ही कह रहे हैं कि जब आदेश आयेगा तो उनकी खाद की कीमत को सब्सिडी काट कर वसूला जायेगा। 50 प्रतिशत किसान खाद का उठाव कर चुके हैं। उनके मन में डर बना हुआ है कि आदेश होगा भी या नहीं, और होगा तो कितना सब्सिडी मिलेगा। जिस गति से केन्द्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी की बात जनता तक पहुंची है..., अब आदेश करने में ढोल का पोल दिखाई दे रहा है। 

यही हाल कोरोना के लॉकडाउन में फंसे गरीब, मजदूरों का राशन के मामले में हो रहा है। केंद्र सरकार ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के अन्तर्गत आगामी दो महीने तक गरीबों को नि:शुल्क अनाज उपलब्ध कराने की घोषणा किये हैं। इस योजना के तहत इस वर्ष मई और जून माह में प्रत्येक व्यक्ति पांच किलोग्राम खाद्यान्न दिया जाएगा। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा मई-जून में लाभार्थियों को नि:शुल्क अनाज के अलावा ऐसे परिवार जिसमें 5 से अधिक सदस्य  है को प्रति व्यक्ति 3 किलो अतिरिक्त अनाज देने का प्रावधान किया गया है। 

हद तो तब हो गई जब हितग्राहियों को मई और जून माह का 35-35 किलो चावल देकर ही चलता कर दिया गया। सवाल पूछने पर वें जवाब ऐसे देते है मानो अपने घर का अनाज दे रहा हो..., नेता जी के जुबान से फिसलते ही हवा कि गति से आम जनता तक पहुचंने वाली घोषणाओं का आदेश महीनों तक कहां अटका है, आखिर जवाबदेही किसकी बनती है? 

सरकार का काम है नीति बनाना, लेकिन अमल में लाने का काम प्रशासन करता है। घोषणा हुआ है आदेश नहीं, अभी इतना लेलो, बाद में देखेंगे, ये रवैया प्रशासन की लचर व्यवस्था को दर्शाता है। क्या वर्तमान समय में शासन और प्रशासन में तालमेल नहीं है या दोनों मिलकर ही सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे इस तर्ज पर जनता से आंख मिचोली खेल रहे हैं। क्यों‍कि मई तो निकल चुका और जून में आनलॉक हो चुके हैं..., बस बात खत्म।

-जयंत साहू, रायपुर [ 98267-53304]












अखबार का कतरन-

  • रायपुर से प्रकाशिक सांध्य दैनिक ‘हाईवे चैनल’ का संपादकीय पेज-6


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

POPULAR POSTS