महानदी के तट पर 81 फीट विशालकाय श्री रामोदर वीर हनुमान जी

हनुमान जी की विशालकाय मूर्ति: महानदी, टीला

यात्रा वृतांत:




छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी के तट पर उद्गम से लेकर महासागर में विलय तक अनेकों धार्मिक स्थल देखने को मिलता है। नदी की प्रवाह के साथ ही आस्था का सैलाब उमड़ता-घुमड़ता कभी इस छोर तो कभी उस छोर। नदी की जलधारा की तरह ही चंचल मन भी गतिमान है,कही देव आदिदेव महादेव तो, कही जगत जननी मां जगदम्बा। स्नान ध्यान और पूजा अर्चना के लिये संत महात्माओं के अलावा भगवान भी इस नदी की जल से अपनी प्यास बुझाई है। छत्तीसगढ़ के महानदी पर सबसे प्राचीन और विख्यात मंदिरों की बात करे तो राजीवलोचन कुलेश्वर महादेव और गंधेश्वर महादेव, चंपेश्वर महादेव का नाम शीर्ष में आता है। इसके अलावा अब नदी के दोनो छोर पर बसे गांव के लोग छोटी-छोटी मंदिरों का निर्माण कर अपने-अपने स्तर में विभिन्न अवसरों पर मेले आदि का आयोजन कर ग्राम्य देव के महिमा गान में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। 


चंपारण के चंपेश्वर महादेव का दर्शन करने के बाद जैसे ही हम बाहर निकल रहे थे, मार्ग के एक साइन बोर्ड अचानक हमारी नजर पड़ी जिसमें लिखा था, 81 फीट ऊंची विशालकाय श्री रामोदर वीर हनुमान मंदिर जाने का मार्ग। उत्सुकता वश हम उस मार्ग पर चल पड़े। जो कि रायपुर से चंपारण मार्ग में लगभग 50 किलोमीटर, राजिम से 17 किलोमीटर और चंपारण से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर है। टीला गांव के निकट पहुंचते ही हनुमान जी की प्रतिमा दूर से ही दिखाई दे रही थी। पहुंच मार्ग बहुत ही अच्छा है किसी भी वाहन से पहुंचा जा सकता है। 



टीला पहुंचने पर हमें जानकारी हुई कि यह मंदिर प्राचीन नहीं है अपितु जन आस्था के अनुरूप टीना एनीकट निर्माण के दौरान ही बनाई गई है। टीला से पोखरा ग्राम को जोड़ती हुई लगभग 66 करोड़ की लागत से 915 मीटर लंबी एनीकट का निर्माण छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग द्वारा नई राजधानी में पानी पहुंचाने हेतु बनाई गई है। टीला, सेमरा, पोखरा, परसदा परिक्षेत्र में 5.2 वर्ग मीटर जल धारण क्षमता की इस एनीकट के किनारे में ही बना है 81 फीट ऊंचा हनुमान जी की मूर्ति। सूचना बोर्ड के अनुसार इसे श्री रामोदर वीर हनुमान मंदिर कहा गया है। किन्तु लोग इसे टीला गांव में होने के कारण टीलेश्वर महादेव के नाम से भी जानते है। 


टीला गांव के घाट पर विशाल हनुमान जी की मूर्ति स्थानीय मूर्तिकार श्री पीलूराम साहू ने बनाई है। साथ ही इस परिक्षेत्र का सौंदर्यीकरण करते हुये छोटा सा उद्यान भी बनाया गया है तथा मंदिर परिसर में ही जल संसाधन विभाग का उपकार्यालय भी है जहां एनीकट के रख-रखाव हेतु कर्मचारी बैठते है। यही एक साइन बोर्ड पर नामकरण के विषय में लिखा गया है- “श्री राम नाम लेखन करने वाले तथा सभी लोगों को विदित हो कि यह स्थान महानदी चित्रोत्पला के तट पर गाय-घाट के नाम से प्रसिद्ध है, यह स्थान शमशान सिद्धपीठ है। जैसे काशीपुर के गाय-घाट तथा मणिकर्णिका घाट में शमशान सिद्धपीठ भी है। श्री रामोदर हनुमान जी 81 फीट ऊंची 9 ग्रहों से युक्त 9 अंकों सहित करोड़ों की संख्या में राम नाम से अंकित कापियों को अपने उदर में धारण करके श्री राम नाम का घोष करते हुए विराजमान है।”




तो इस तरह से इसे श्री रामोदर वीर हनुमान के नाम से भी जाना गया है। इस विशालकाय हनुमान जी के धरातल पर प्रभु श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण जी की प्रतिमा के साथ छोटा सा मंदिर है। इसी से लगा हनुमान जी की एक और प्रतिमा है। 81 फीट ऊंची हनुमान जी की विशाल प्रतिमा का परिक्रमा करते हुये नवग्रह- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और राहू, केतु का भी दर्शन होता है। जीवनदायनी महानदी चित्रोत्पला की कल-कल, छल-छल के बीच संकटमोचन राम भक्त की मंदिर परिसर का गुंजता हुआ घंटा धरती से आकाश तक राम ही राम, राम ही राम, राम ही राम का उच्चारण करता जीवात्मा को मोक्ष प्रदान करता है।






















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