क्या वे नहीं जानते थे स्कूलों की दशा, अभियान के पहले?

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी के जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। जिसके अंतगर्त प्रदेश के लगभग 15 हजार सरकारी स्कूलों का निरीक्षण राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, जन प्रतिनिधियों तथा उच्चाधिकारियों द्वारा मिलकर किया जायेगा। 

गौरतलब है कि सितंबर माह में भी इसी तरह का अभियान चलाकर लगभग 44 हजार शालाओं का निरीक्षण कराया जा चुका है। अधिकांश स्कूलों में भारी खामियां पाई गई। कहीं-कही पर तो पांचवीं के बच्चों को क ख ग का ज्ञान नहीं था। कई स्कूलों के शिक्षक भी निरीक्षक के सवालों के जवाब नहीं दे पा रहे थे। जिस तरह इस अभियान के विषय में अखबारों और टीवी चैनलस् में खबरें आ रही है इससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां-जहां जन प्रतिनिधि निरीक्षण करने जा रहे है वहां की स्थिति में सुधार होगा। अब इस अभियान के बारे में बारिकी से गौर करे तो जन प्रतिनिधि उन्हीं स्कूलों का दौरा कर रहें है जहा कि वस्तुस्थिति से वे पहले से ही वाकिफ है। वही स्कूल, वही समस्या और जवाब भी वही। घिसा-पिटा सा आश्वासन मिलता है, उचित कार्रवाई करेंगे।
अगर इस अभियान को कारगार माने तो पहले चरण में जिन स्कूलों का निरीक्षण किया गया था उनमें से कितने स्कूलों के शिक्षा गुणवत्ता में सुधार हुआ है? अभी स्कूलों में जाकर जन प्रतिनिधि निरीक्षण कर रहे है तो इससे पहले क्या कभी उनका ध्यान स्कूलों पर नहीं गया? जबकि देखा जाए जो प्रत्येक जन प्रतिनिधि का स्कूलों से नाता रहा हैं। गांव, कस्बों की बात करे तो गांव का सरपंच और जनपद को स्कूलों की दशा के बारे में शुरू से ही जानकारी है। उच्च अधिकारियों को वे इस बारे में अवगत भी कराते रहे है। स्कूलों के शिक्षा स्तर और स्कूल की स्थिति के बारे में प्रधानपाठक, सरपंच, विधायक, से लेकर विकासखंड शिक्षा कार्यालय व जिला शिक्षा कार्यालय को भी मालूम है। इस गुणवत्ता सुधार अभियान में जो अफसर या जन प्रतिनिधि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में जा रहे है वे सिर्फ अपना काम ईमानदारी से करके खानापूर्ति कर रहे है। 
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम का ढिंडोरा पीटते रोज अफसर और नेता गांव कस्बों के स्कूलों में जाकर फोटो अखबारों में छपवा रहे हैं। अगर मिसाइल मेन के नाम का उपयोग हुआ है तो तत्काल कार्यवाही भी होनी चाहिए। कमजोरियों को मिसाइल मेन ताकत बनाते थे किन्तु यहां तो मजाक हो रहा है। मंत्री जी अफसरों पर ढिकरा फोड़ते है, अफसर निम्न कर्मचारियों पर, कुल मिलाके बात बच्चों पर ही आती है कि क्यों आया सरकारी स्कूल। यहां तो ऐसा ही चलेगा, देखा नहीं पिछले वर्ष गांधी जयंती को कैसे एक दिन के लिये सारे अफसर और नेतागण झाडूृ लेेकर सड़कों पर उतरे थे, स्वच्छ भारत निमार्ण में। क्या सफाई हुई? नहीं। किन्तु आयोजन तो सफल रहा ना। तो क्यो न इसे भी उसी अभियान की तरह माने? आप जनता हो जन प्रतिनिधि नहीं कुछ भी मान लो पर अभियान तो सफल होगा ही।०  
जयंत साहू
डूण्डा वार्ड-52, रायपुर
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jayantsahu9@gmail.com
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