National Voters Day : मतदाता बनने पर गर्व है

भारत में मतदाताओं को और अधिक जागरुक बनाने और उन्हें मतदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद के साथ मतदाता दिवस की शुरुआत की गई है। भारत में आज भी ग्रामीण इलाकों में लोग मतदान करने के लिए घरों से बाहर नहीं आते हैं। इसी कारण कई क्षेत्रों से ऐसे नेता चुनकर आते है जो देश और समाज विकास कराने के बजाए स्वयं के विकास की नीति से काम करते है। जहां से आम लोग मतदान करने बाहर नहीं आते वहां के जनप्रतिनिधी अपने खरीदे हुए वोटरों के भरोसे विधानसभा या लोकसभा तक पहुंचे है। जनता यदि सही जनप्रतिनिधी चाहती है तो उनको अपने घरों बाहर आकर मतदान के महत्व को समझना होगा। आज भी लोगों की मानसिकता यह है कि मेरे वोट न देने से क्या होगा। जबकि ऐसा नहीं है हर एक वोट की किमत है। ऐसी भी मनोभाव हो जाती है कि हम तो किसी पार्टी से नहीं है या हमने तो किसी से कुछ लिया, नहीं जो लिये है वो जाकर अपना फर्ज निभाये। यह जरूरी नहीं कि आप किसी पार्टी से संबंध रखते हो आप मत आपके स्यमं के विवेक पर निर्भर करता है कि आप किसे देने चाहते है। बात लेने देने की भी नहीं, बात है देश और समाज का है। इसीलिए अपन मतों के महत्व हो समझना होगा। क्योंकि आपका एक वोट किसी की जिंदगी बदल सकती है। हर भारतवासी को जो अठारह साल उम्र पूरी कर चुके है मतदाता सूची में नाम दर्ज कराए और देश व समाज के हित में अपना नेता चुनने में मतों का प्रयोग जरूर करे।
मतदान का अधिकार- अठारह साल उम्र पूरी कर चुके हर भारतीय नागरिक को मतदान करने का अधिकार है। (अगर उसे की सक्षम न्यायालय ने पागल नहीं घोषित किया है या फिर भ्रष्टाचार तथा चुनाव से संबद्ध किसी अपराध के लिए किसी कानून के अंतर्गत उसे मतदान के अयोग्य घोषित नहीं किया गया है) गौरतलब है कि 1988 में संविधान (61वां संशोधन) अधिनियम द्वारा मतदान की उम्र 21 वर्ष से 18 वर्ष की गयी थी।
मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया-
1. केवल मतदाता कार्डों में शामिल लोगों के नाम ही नई मतदाता सूची में लिए जाते हैं ।
2. निर्वाचन आयोग के द्वारा किसी क्षेत्र की मतदाता सूचियों में संशोधन का आदेश दिए जाते ही, मतदाताओं की गणना करने वाले सरकारी कर्मचारी क्षेत्र के हर घर में जाते हैं ।
3. कर्मचारी घर के मुखिया और उसकी अनुपस्थिति में परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य उन सदस्यों के नाम तथा अन्य विवरण लेते हैं जो मतदाता सूची में शामिल किए जाने की पात्रता रखते हैं ।
4. गणना करने वाले कर्मचारी इन सदस्यों की उम्र तथा आवास के प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र , पासपोर्ट आदि मांग सकते हैं।
5. इन ब्योरों से संतुष्ट होने के बाद कर्मचारी मतदाता कार्ड पर इन नामों और ब्योरों को दर्ज करता है और कार्ड पर कोड नंबर डलता है ।
6. कर्मचारी मतदाता कार्ड की प्रति घर के मुखिया को देता है जिसे भविष्य में संदर्भ के लिए संभालकर रखना चाहिए। मतदाता कार्ड के आधार पर मतदाता सूची में नाम दर्ज किया जाता है ।
8. मतदाता कार्ड में सामान्य रुप से रहने वालों के नाम ही दर्ज किए जाते हैं, लेकिन पढ़ाई के लिए बाहर रहने वाले और छुट्टियों में घर आने वाले वयस्क हो चुके बच्चों के नाम भी उनके माता-पिता के पते के साथ मतदाता कार्ड में दर्ज कर लिए जाते हैं ।
9. अगर सरकारी कर्मचारी के बार-बार जाने पर भी घर का मुखिया अथवा कोई वरिष्ठ व्यक्ति नहीं मिलता है तो कर्मचारी घर में एक फॉर्म छोड़ा जाता है । यह फॉर्म भरकर कर्मचारी के अगली बार आने पर उसे दे देना चाहिए। यह फॉर्म भरकर चुनाव क्षेत्र के चुनाव पंजीकरण अधिकारी अथवा क्षेत्र के मुख्य चुनाव अधिकारी के पास सीधे भी भेजा जा सकता है।
मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण बातें-
1. कोई व्यक्ति एक से ज्यादा चुनाव क्षेत्रों में मतदाता के रुप में पंजीकृत नहीं हो सकता है ।
2. कोई व्यक्ति एक ही चुनाव क्षेत्र के एक से ज्यादा हिस्सों में मतदाता नहीं हो सकता है ।
3. मतदाता कार्ड पर गलत जानकारी देने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है ।
5. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अंतर्गत गलत जानकारी देने के अपराध में एक साल की कैद या जुर्माना  या दोनों सजाएं हो सकती हैं। 
मत दान अथवा मत नीलाम - भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में देश की जनता द्वारा चुनकर आये जनप्रतिनिधी जिस तरह से घोटालों और रिश्वतखोरी में संलिप्त होकर जनता की मतों का अपमान कर रहे है इससे एक वर्ग खासे निराश है। यह बात भी सामने आती है कि हमरे द्वारा हमरे लिए चुने गये नेता चुनाव जितने के बाद पार्टी का हो जाता है। जो नेता जिस दल को होता है वह अपने ही पार्टी कार्यकर्ताओं पर विशेष कृपा बरसाते है। आम जनता की समस्यों से उनको काई सरोकार नहीं होती है। उनके लिए पार्टी और कार्यकर्ता से बढ़कर कोई नहीं। अब तो नेता इसी जुगाड़ में रहते है कि कहा से कैस वोट खरीदे जाए। चाहे जो हो जाए जितनी भी रूपये या समान लगे लूटाओं और वोटरों को लुभावो। ऐसे नेताओं के लिए हुए मतदान को मत नीलाम कहे तो अतिशंयोक्ति नहीं होगी। मतदाताओं के मनोभाव को समझते हुए निवाचन आयोग को इस विषय में गंभीरता चिंतन कर कुछ संवैधानिक रास्ता निकालना चाहिए। ताकि जनता को मत दान करने के बाद अफसोस न हो।
25 जनवरी  राष्ट्रीय मतदाता दिवस : बने जागरूक मतदाता
मतदान केंद्रों से संबंधित शिकायतें-
1. समस्याओं के बारे में जिला चुनाव अधिकारी या निर्वाचन अधिकारी या मुख्य चुनाव अधिकारी या निर्वाचन आयोग से शिकायत करें। 2. मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी से आग्रह करें कि आपकी राय अपनी डायरी में दर्ज करें।
मतदान केंद्रों और चुनाव प्रचार में गड़बड़ियां-
1. अगर मतदाताओं या उम्मीदवारों के एजेंटों या मतदान करवाने वाले कर्मचारियों को डराया-धमकाया जाता है
2. मतदान केंद्रों पर कब्जा और अथवा गड़बड़ी फैलाई जाती है3. चुनाव प्रचार तथा लोगों से पैसा वसूलने के लिए गुंडों की मदद ली जाती है तो इसकी शिकायत करें।
मतदान केंद्रों और चुनाव प्रचार में गड़बड़ी की शिकायत-
 1. पीठासीन अधिकारी या निर्वाचन अधिकारी या जिला चु्नाव अधिकारी या मुख्य चुनाव अधिकारी या फिर निर्वाचन आयोग से शिकायत कर सकते हैं । 2. न्यायिक मजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकते हैं। 3. लोकपाल नियुक्त हो तो उससे शिकायत कर सकते हैं। 4. हर हिंसक घटना की थाने में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं ।
चुनाव में बेहिसाब पैसों के खर्च की शिकायत-
1. स्थानीय आयकर अधिकारियों से शिकातय करें। 2. निर्वाचन आयोग के चुनाव प्रेक्षक से शिकायत करें।
3. निर्वाचन आयोग के चुनाव व्यय प्रेक्षक से शिकायत करें। 4. राज्य सरकार से शिकायत करें।
5. पुलिस से शिकायत करें। 6. न्यायिक मजिस्ट्रेट शिकायत करें। 7. निर्वाचन अधिकारी या जिला चुनाव अधिकारी या मुख्य चु्नाव अधिकारी या निर्वाचन अधिकारी से शिकायत करें।
बिना अनुमति दीवारों पर नारों के खिलाफ शिकायत- राजनैतिक दलों द्वारा दीवारों और घरों पर नारे लिखना अपराध है। इसके खिलाफ निम्नलिखित कार्रवाईयां की जा सकती हैं...
1. राजनैतिक दल के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करा सकते हैं
2. संपत्ति के नुकसान का सिविल दावा दर्ज करा सकते हैं3. निर्वाचन आयोग के प्रेक्षकों से शिकायत कर सकते हैं। 4. निर्वाचन अधिकारी या जिला चुनाव अधिकारी या मुख्य चुनाव अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं5. पुलिस से शिकायत कर सकते हैं ।
लाउडस्पीकर के गलत इस्तेमाल पर शिकायत- चुनावों के दौरान निर्धारित समय के अलावा अथवा बहुत ऊंची आवाज में लाउज स्पीकरों के इस्तेमाल के खिलाफ निम्नलिखित से शिकायत कर सकते हैं...
1. जिला प्रशासन से शिकायत कर सकतें हैं। 2. पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। 3. निर्वाचन आयोग के प्रेक्षक से शिकायत कर सकते हैं। 4. निर्वाचन अधिकारी या जिला निर्वाचन अधिकारी या निर्वाचन आयोग से शिकायत कर सकते हैं।
यदि कानून व्यवस्था के प्रभारी अथवा कर्मचारी आपको परेशान करते हैं तो...
1. जिला चुनाव अधिकारी या निर्वाचन अधिकारी या मुख्य चुनाव अधिकारी या निर्वाचन आयोग से शिकायत करें। 2. राज्य के पुलिस महानिदेश के शिकायत करें। 3. राज्य के मुख्य सचिव से शिकायत करें। 4. संघ सरकार के गृहमंत्रालय से शिकायत करें। 5. मतदान करवा रहा सरकारी कर्मचारी अगर अपने राजनैतिक झुकाव की वजह से अपना दायित्व ठीक से नहीं निभाता है तो आप पुलिस अथवा न्यायिक मजिस्ट्रेट से उसकी शिकायत कर सकते हैं।

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