छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण समारोह—2016

छत्तीसगढ़.रायपुर। नया रायपुर में चल रहे पांच दिवसीय छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के समापन कार्यक्रम में राज्य अलंकरण समारोह का आयोजन किया। समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से 18 नागरिकों और दो संस्थाओं को विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय योगदान के लिए राज्य अलंकरणों से सम्मानित किये।
सम्मान ग्रहण करने वाले नागरिकों और संस्थाओं का एक परिचय :-


शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान
आदिम  जाति विकास विभाग

श्री शैनकुमार मण्डावी को सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना जागृत करने, ग्रामीण विकास एवं आदिवासी समाज को संगठित करने में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए ‘शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान’ से सम्मानित किया जाएगा।श्री शैनकुमार मण्डावी का जन्म 23 अगस्त 1954 को ग्राम-भानपुरी (पोस्ट-देमार, तहसील व जिला-धमतरी) में हुआ। ग्रामीण क्षेत्र में रहते हुए भी कला साधना के क्षेत्र में उनका योगदान प्रशंसनीय है। श्री मण्डावी ने बिना किसी प्रकार के गुरू अथवा प्रशिक्षक के कला के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योग्यता हासिल की। पिता स्व. श्री अमरसिंह मण्डावी से प्राप्त कला के ज्ञान के बाद 12 वर्ष के उम्र से ही आपने डफड़ा वादन, ढोलक वादन, तबला वादन आदि में महारत हासिल किया। अभिनय एवं नाचा के क्षेत्र में मया के फूल, जय शीतला माता नाचा पार्टी, नूतन आदर्श लीला मण्डली, रामधुनी पार्टी, गम्मत आदि में विशिष्टता प्राप्त की एवं विभिन्न आयोजनों में आपको पुरस्कृत एवं प्रशंसित किया गया। इसके अतिरिक्त धार्मिक कार्यक्रमों, राष्ट्रीय कार्यक्रमों तथा ग्रामीण विकास एवं खेलकूद के क्षेत्र में भी इनका योगदान प्रशंसनीय रहा, इससे प्रभावित होकर ग्रामीणों ने उन्हें आदिवासी समाज का मुखिया बनाया। अनेक वर्षों तक इस क्षेत्र में काम करते हुए आपने आदिवासी समाज को एकता के सूत्र में पिरोया है। आपको ढोलक वादन, तबला वादन एवं डफड़ा वादन में वाद्य कलाकार के रूप में महारथ हासिल है, जिसके कारण आपको अनेक अवसर पर सम्मनित भी किया गया है। आदिवासी समाज के प्रति आपका योगदान प्रशंसनीय है।

गुण्डाधूर सम्मान
खेल एवं युवा कल्याण विभाग

कुमारी रामफूल टोंडर को तलवारबाजी के पैरा ओलम्पिक अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियागिताओं में पदक प्राप्त कर खेल जगत में प्रदेश को गौरवान्वित करने और खेल में दृढ़ इच्छाशक्ति तथा लक्ष्य प्राप्ति की ओर निरंतर अग्रसर रहने के लिये ‘गुण्डाधूर सम्मान’ से विभूषित किया जाएगा। कुमारी रामफूल टोंडर ग्राम खैरा सेतगंगा, जिला मुंगेली, छŸाीसगढ़ की हैं। आप तलवारबाजी (पैरा ओलम्पिक) खेल में अभूतपूर्व प्रतिभा सम्पन्न है। वर्ल्डकप व्हीलचेयर चैम्पियनशिप 01 से 03 मई 2015 कनाड़ा में भागीदारी किया एवं 8वां नेशनल व्हीलचेयर फेंसिंग प्रतियोगिता दिनांक 28 से 30 जनवरी 2016, करनाल हरियाणा में तलवारबाजी (पैरा ओलम्पिक) खेल में 3 स्वर्ण पदक प्राप्त कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।    

मिनीमाता सम्मान
महिला एवं बाल विकास विभाग

 श्रीमती चंदेश्वरी ठाकुर को महिला उत्थान एवं जनजागृति, सशक्तीकरण को संगठित और सामुदायिक उद्यम बना कर निरंतर सक्रिय रहने के उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘‘मिनी माता सम्मान’’ से नवाजा जाएगा।श्रीमती चंदेश्वरी ठाकुर का जन्म 15 जनवरी 1977 को ग्राम अमोरा पोस्ट लिमोरा (निपानी) करहीभदर थाना, तहसील व जिला- बालोद छत्तीसगढ़ में हुआ। आपने सिया देवी महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं में जन जागरूकता लाने हेतु अगरबत्ती, मोमबत्ती, पापड़, साबुन, मशरूम, सिलाई कड़ाई, दोना-पत्तल आदि का प्रशिक्षण देकर महिलाओं को रोजगार मुहैया करने का प्रयास किया। आपके द्वारा दलित-पीड़ित-शोषित लोगों को गांव-गांव में इकट्ठा कर, साक्षरता तथा छुआछूत की भावना हो दूर करने का अनूठा पहल किया गया। आपने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के महिलाओं को सही दिशा में जोड़ने हेतु गांव-गांव में अब तक 150 महिला स्व सहायता समूह, 70 महिला मंडल, गंगाजल, मितानीन, महाप्रसाद, लोककला मंच, रामायण मंडली, जसगीत मंडली एवं आदिवासी गीत-संगीत मंडली तैयार की, शिक्षा के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया। आपने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पंचायती राज, भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, साक्षरता, पर्यावरण, जल प्रदूषण, नक्सलवाद, अलगाववाद, नारी जागरण, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, पल्स पोलियो, आयोडीन युक्त नमक, मलेरिया रोधी कैंसर, एड्स, परिवार नियोजन आदि जन कल्याणकारी विषयों पर लगभग 5500 से ज्यादा महिलाओं की गांव-गांव में सभा लेकर, जागरूकता लाने का प्रयास करने का अनूठा पहल किया। महिला समिति एवं स्वयं के द्वारा निपानी करहीभदर, डौण्डी लोहारा, दल्लीराजहरा क्षेत्र, कांकेर, चारामा, दुर्गकोंदल, कोयलीबेड़ा लगभग तीन-चार जिलों के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के महिलाओं में बाल विवाह, शिक्षा आदि विषयों पर जन जागरूकता लाने का अथक प्रयास भी किया।

गुरु घासीदास सम्मान
आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग

श्रीमती समेबाई शास्त्री को पंथी, पण्डवानी, सतनाम भजन एवं गायकी के माध्यम से गुरु घासीदास के जीवन मूल्यों को प्रकाशित कर सामाजिक चेतना एवं सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उन्नयन हेतु ‘गुरू घासीदास सम्मान’ से विभूषित किया जाएगा। श्रीमती समेबाई शाष्त्री का जन्म 03 अप्रैल 1965 को ग्राम-जोगीपुर, तहसील एवं जिला-बेमेतरा, छत्तीसगढ़ में हुआ था। वर्तमान में वे ग्राम कोहका (तिल्दा-नेवरा) जिला-बेमेतरा, छत्तीसगढ़ में निवासरत हैं। प्राथमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त श्रीमती समेबाई शास्त्री पंथी एवं पण्डवानी लोक कला की ख्यातिप्राप्त कलाकार हैं जिनके कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्षन से प्रसारित होते रहे हैं। आकाशवाणी द्वारा उन्हें ‘बी’ ग्रेड़ कलाकार श्रेणी में रखा गया है। पण्डवानी और सतनाम भजन गायकी के क्षेत्र में अन्तर्राज्यीय स्तर पर उनके अनेक कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं। आपने अपनी संस्था सतनाम पण्डवानी पार्टी के माध्यम से सामाजिक चेतना को जागृत करने का प्रयास किया है।

ठाकुर प्यारेलाल सिंह सम्मान
सहकारिता विभाग

छत्तीसगढ़ शासन, गौरेला सहकारी विपणन संस्था मर्यादित पेन्ड्रारोड़, जिला बिलासपुर को सहकारिता के मूल उद्देश्य, उनके सिध्दांतों का पालन करते हुए सहकारी भावना को सबल प्रदान करने के लिए ‘‘ठाकुर प्यारे लाल सिंह पुरस्कार’’ से विभूषित किया जाएगा इस सहकारी संस्था को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, नई दिल्ली के द्वारा द्विवार्षिक सहकारी उत्कृष्टता पुरस्कार, 2014 (राज्य स्तर) से पुरस्कृत किया गया है। संस्था के कार्यक्षेत्र में बिलासपुर जिले के विकासखण्ड गौरेला, पेन्ड्रा, मरवाही के 186 ग्राम पंचायतें हैं। इस सहकारी संस्था में व्यक्तिगत सदस्यों की संख्या 1688 तथा 11 सहकारी संस्थाएं संस्था की सदस्य हैं। यह विपणन संस्था इफको की सदस्यता ग्रहण कर इफको से सीधे खाद विपणन कर कृषकों को समय पर उपलब्ध करा रही है। इस सहकारी संस्था के पास 2600 मेट्रिक टन क्षमता के 6 गोदाम स्वयं के उपलब्ध हैं। वर्तमान में संस्था की कार्यशील पूंजी 99.79 लाख रूपए है एवं भारतीय स्टेट बैंक शाखा पेन्ड्रारोड़ में 15 लाख रूपए फिक्स डिपाजिट है। यह संस्था किसी भी वित्तदायी संस्था अथवा राज्य शासन की व्यतिक्रमी नहीं है। संस्था का अभिलेख तातारीख पूर्ण है और संस्था लगातार लाभ अर्जित कर रही है। संस्था का प्रबंधन उत्कृष्ट होने के कारण किसी भी प्रकार के शिकायत, धोखाधड़ी या गबन के प्रकरण नहीं हैं। सहकारिता के क्षेत्र में इस सहकारी संस्था द्वारा उत्कृष्ट, प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय कार्य किया गया है।

हाजी हसन अली सम्मान
क्षेत्र: उर्दू भाषा की सेवा
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग

श्री हसन जफ़र, ‘जफ़र रायपुरी‘ को गज़ल, नात, सलाम, नौहे वगैरह उर्दू की तमाम विधाओं में कलाम लिखने, नई पीढ़ी के शायरों की रहनुमाई करने, शायरी के माध्यम से उर्दू साहित्य की सतत सेवा करने ‘‘हाज़ी हसन अली सम्मान’’ से विभूषित किया जाएगा। हसन जफर ’’जफर रायपुरी’’ का जन्म 1942 में रायपुर शहर के मोमिनपारा में निवासरत् एक गरीब बुनकर परिवार में हुआ। घर में हाथ करघा पर कपड़ा बुनने का काम किया जाता था। आर्थिक तंगहाली की वजह से प्राथमिक तक शिक्षा ही प्राप्त कर सके। साहित्यिक संस्था छत्तीसगढ़ गुलशने अदब, रायपुर, तथा बज्में शेरो सुखन रायपुर सहित विभिन्न संस्थाओं ने उन्हे अदबी खिदमात के लिये सम्मानित किया है। ’’जफर रायपुरी’’ की विशेष पहचान हज़ल के लिये है। छत्तीसगढ़ राज्य में वे एकमात्र हजल गो शायर हैं (उर्दू शायरी में हास्य -व्यंग्य की शायरी को हज़ल कहा जाता है) ’’जफर रायपुरी’’ ने शायरी की तमाम विधाओं में कलाम लिखें हैं। गजल, हजल के साथ-साथ नात, मनकबत, सलाम, नौहे वगैरह उल्लेखनीय हैं। उन्होने प्रारंभिक दौर में शायरी की इस्लाह स्व. वहीदुल हसन ताबिश रायपुरी साहब से ली। 50 वर्षो से अधिक समय से उनकी साहित्यिक यात्रा जारी है। वे स्थानीय मुशायरों, कवि सम्मेलनों के साथ-साथ राष्ट्रीय एवं आंचलिक स्तर के मुशायरों में भी षिरकत करते हैं।’’जफर रायपुरी’’ की शायरी केवल हास्य-व्यंग्य पर आधारित नही है बल्कि वे शिक्षा प्रद भी हैं उनमें नई पीढ़ि के लिये संदेश भी है। वे सिर्फ हंसाते नही है बल्कि अपने कलम अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को राह दिखाते है। उन्हे उनकी साहित्यिक सेवा के लिये विभिन्न संस्थाओं से सम्मान एवं पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। ’’जफर रायपुरी’’ नई पीढ़ि के शायरों की रहनुमाई भी बखूबी कर रहे है। अक्सर नवोदित शायर उनसे कलाम पर इस्लाह लेते देखे जा सकते है। वे नवोदित शायरों को शायरी की बारीकिया, शायरी का शिल्प, बहर आदि की जानकारी देते है। इस तरह ’’जफर रायपुरी’’ अपनी शायरी के माध्यम से उर्दू साहित्य की सतत् सेवा कर रहे है।

महाराज प्रवीरचंद भंजदेव सम्मान
क्षेत्र: तीरंदाजी
खेल एवं युवा कल्याण विभाग

श्री अभिलाष राज को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाजी चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त कर राष्ट्रीय खेल जगत में प्रदेश को गौरवान्वित करने के लिए ‘‘महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव सम्मान’’ से सम्मानित किया जाएगा। श्री अभिलाष राज में तीरंदाजी की अभूतपूर्व प्रतिभा है। बिलासपुर जिले के एक छोटे से गांव परसतराई में परंपरागत रूप से धनुष-बाण के साथ खेलते-खेलते उन्होंने तीरंदाजी को एकलव्य के समान लगन निष्ठा से कड़ी मेहनत कर प्रतिस्पर्धात्मक तीरंदाजी सीखा। श्री अभिलाष राज 23वीं सीनियर नेशनल आरचरी चैम्पियनशिप झारखण्ड 8 से 11 अप्रैल 2016 में स्वर्ण पदक अर्जित कर छत्तीसगढ़ राज्य को गौरवान्वित किया है।

पं. रविशंकर शुक्ल सम्मान
क्षेत्र: सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक क्षेत्र में अभिनव प्रयत्न
सामान्य प्रशासन विभाग

श्री विनोद कुमार शुक्ल को साहित्यिक विधाओं यथा कविता, कहानी और उपन्यास में मौलिक लेखन, साथ ही फिल्म एवं नाटक के क्षेत्र में रचनात्मक योगदान के लिए ‘‘पं. रविशंकर शुक्ल सम्मान’’ से सादर विभूषित करता है। श्री विनोद कुमार शुक्ल इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करते हुए वर्ष 1996 में सेवानिवृत्त हुए। श्री शुक्ल की कृतियों में 9 कविता संग्रह, 5 उपन्यास संग्रह, 2 कहानी संग्रह हैं। मध्यप्रदेश शासन ने श्री शुक्ल को वर्ष 1975-76 में गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, वर्ष 1981 में रजा पुरस्कार प्रदान किये। ओड़िशा सरकार द्वारा वर्ष 1992 में सृजन भारतीय सम्मान, वर्ष 1997 में मोदी फाउण्डेशन द्वारा दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, वर्ष 1999 में भारत सरकार द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार, वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान, वर्ष 2014 में उत्तरप्रदेश शासन द्वारा हिन्दी गौरव सम्मान एवं अन्य पुरस्कार प्रदान किये गये हैं। श्री शुक्ल वर्ष 1994 से 1996 तक निराला सृजनपीठ, भारत भवन, भोपाल के अध्यक्ष रहे। साहित्य अकादमी नई दिल्ली के सदस्य भी रहे। श्री शुक्ल वर्ष 2005 से 2008 तक महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा के कार्यपरिषद के सदस्य रहे। आप वर्तमान में तक्षशिला शैक्षणिक संस्थान, नई दिल्ली की तक्षशिला बाल साहित्य सृजनपीठ के अंतर्गत बच्चों के लिये साहित्य लेखन का कार्य कर रहे हैं।

राजा चक्रधर सिंह सम्मान
क्षेत्र: संगीत एवं कला
संस्कृति विभाग

श्री राजकमल नायक को नाट्य लेखक, निर्देशक और अभिनेता के रूप में राष्ट््रीय स्तर पर पहचान बनाते हुए रंगकर्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान और सतत साधना के लिये ‘‘राजा चक्रधर सिंह सम्मान’’ से नवाजा जाएगा। श्री राजकमल नायक ने राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय शीर्षस्थ नाट्य निर्देशकों के साथ अभिनय और नेपथ्यकर्म किया है। आपने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, ओड़िशा आदि प्रदेशों में 58 नाट्य शिविरों का संचालन, निर्देशन राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के सौजन्य से किया है तथा 70 नाटक विगत 45 वर्षों में निर्देशित किये हैं। आपके 8 लघु नाटक प्रकाशित हुये है। आप नाट्य पत्रिका ‘रंग-संवाद’ व सिलसिला तथा राज्य संसाधन केन्द्र, छत्तीसगढ़ की पत्रिका ‘नई इबारत’ तथा नवसाक्षरों के लिए प्रकाशित साहित्य के संपादक हैं। आपने श्याम बेनेगल निर्देशित फिल्म ‘समर’ तथा ब.व. कारंत निर्देशित टेलीफिल्म ‘औरत भली रामकली’ में प्रमुख भूमिकाएं अभिनीत कीं। आकाशवाणी और दूरदर्शन के अनेक कार्यक्रमों में शिरकत किया है। आपको संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005-2007 के लिए सीनियर फेलोशिप दिया गया। आपने शिक्षा, साक्षरता, जल संग्रहण, जल प्रदूषण, स्वच्छता, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, पॉलीथीन आदि विषयों पर नाट्य लेखन और क्षेत्रीय, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक नाट्य शिविरों का निर्देशन व नाट्य प्रदर्शन किया है।

दाऊ मंदराजी सम्मान
क्षेत्र: लोककला/शिल्प
संस्कृति विभाग

छत्तीसगढ़ शासन, श्री शिवकुमार तिवारी को लोककला के क्षेत्र में सुदीर्घ साधना से लोकप्रियता का मुकाम हासिल करते हुए, निरंतर योगदान के लिये ‘‘दाऊ मंदराजी लोक कला सम्मान’’ प्रदान किया जाएगा। श्री शिवकुमार तिवारी हिर्री माइंस, बिलासपुर के निवासी हैं। आप ऑल इण्डिया रेडियो और दूरदर्शन के नियमित कलाकार हैं। 1997 में आकाशवाणी द्वारा आपको ‘बी’ उच्च ग्रेड लोक गायक की मान्यता प्रदान की गई है। आपके द्वारा राज्य स्तरीय विभिन्न समारोहों जैसे मल्हार महोत्सव-2014, बिलासा महोत्सव-2007, श्री राजीवलोचन महोत्सव 2003 आदि में लोककला की सांगीतिक प्रस्तुतियाँ दी गईं। आपको कामधेनु सम्मान-2013, दाऊ रामचंद देशमुख सम्मान-2010, सांस्कृतिक लोककला मंच भाटापारा द्वारा छत्तीसगढ़ गौरव रत्न एवं विभिन्न स्थानीय सम्मान एवं अभिनंदन प्राप्त हुए हैं।  

डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान
क्षेत्र: कृषि
कृषि विभाग

श्री लक्ष्मण कुमार पटेल को समन्वित पोषण एवं कीट प्रबंधन, जैविक कृषि, कृषि उत्पादों के स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण द्वारा मूल्य संवर्धन के उल्लेखनीय कार्यों हेतु ‘‘डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान’’ प्रदान किया जाएगा। श्री पटेल का जन्म ग्राम-कंचनपुर, जिला-रायगढ़ के सामान्य कृषक परिवार में 29 मई, 1968 को हुआ। हायर सेकेण्डरी की शिक्षा पूर्ण कर वर्ष 1989-90 से पुश्तैनी कृषि कार्य में संलग्न हुये। कृषि विभाग की योजनान्तर्गत नलकूप खनन कराकर सिंचित रकबे में वृद्धि द्वारा अधिक उपज प्राप्त की तथा शनैः शनैः स्वयं के संसाधनों से पूरे कृषि रकबे को सिंचित रकबे में परिवर्तित कर लिया। धान व गेहूं की उन्नत कृषि से भी आगे बढ़ते हुए वर्ष 2009-10 में गन्ना, केला व अदरक की खेती भी प्रारंभ की तथा प्राप्त लाभ से प्रोत्साहित होकर सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों के उपयोग से सब्जियों की खेती भी प्रारंभ कर आय में वृद्धि की। प्रसार कार्यकर्ताओं से निरंतर संपर्क में रहकर उन्नत कृषि तकनीक अर्जित करते हुए आज प्लास्टिकल्चर, मछलीपालन, दुग्ध उत्पादन, मशरूम उत्पादन व खाद्य प्रसंस्करण को अंगीकृत कर आय के नये प्रतिमान स्थापित किये तथा अन्य कृषकों के मार्गदर्शक के रूप रूप में कृषि विकास के कार्यों में निरंतर संलग्न है।

पण्डित माधवराव सप्रे स्मृति राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान
जनसंपर्क विभाग

श्री विजयदत्त श्रीधर को पत्रकारिता के इतिहास प्रलेखन के  लिए प्रमाणिक प्रयत्नों, सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता करने तथा रचनात्मक लेखन के लिए, ‘पण्डित माधवराव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान से नवाजा जाएगा। श्री विजयदत्त श्रीधर का जन्म 10 अक्टूबर, 1948 को ग्राम बोहानी, जिला नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश में हुआ था। उन्होंने उन्होंने भोपाल में वर्ष 1984 में माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान की स्थापना की। उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए श्री विजय दत्त श्रीधर को 2012 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ अलंकरण से सम्मानित किया गया। केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उन्हें भरतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार वर्ष 2011 से भी सम्मानित किया। उन्हें शिक्षा एवं शोध में असाधारण अवदान के लिये मध्यप्रदेश शासन द्वारा महर्षि वेद व्यास राष्ट्रीय सम्मान (2012-13) से सम्मानित किया जा चुका है। मध्यप्रदेश में पत्रकारिता का इतिहास, मध्यप्रदेश में पत्रकारिता का उद्विकास, शब्दसत्ता, चौथा पड़ाव तथा शह और मात आपकी चर्चित पुस्तकें हैं। इसके अतिरिक्त आपने अनेक कृतियों का संपादन किया। आप वर्ष 1981 से जनसंचार माध्यमों और विज्ञान संचार पर केन्द्रित शोधपत्रिका मासिक ‘आंचलिक पत्रकार’ का संपादन कर रहे हैं।

चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार
क्षेत्र: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (हिन्दी)
जनसम्पर्क विभाग

जगदलपुर (बस्तर) के वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार श्री नरेश मिश्रा को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (हिन्दी) के क्षेत्र में साहसिक, चुनौतीपूर्ण रिपोर्टिंग के लिए ‘‘श्री चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार‘‘ से विभूषित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में टेलीविजन पत्रकार के रूप् में कार्यरत श्री नरेश मिश्रा बस्तर में हो रहे विकास कार्यों के साथ-साथ कई चुनौतीपूर्ण घटनाओं और समस्याओं पर साहसिक रिपोर्टिंग की है। वे जगदलपुर में टेलीविजन समाचार चैनल आई.बी.सी 24 के ब्यूरो प्रमुख के पद पर कार्यरत हैं।

मधुकर खेर स्मृति पुरस्कार
क्षेत्र: प्रिन्ट मीडिया (अंग्रेजी)
जनसम्पर्क विभाग

श्री समीर शुक्ला को प्रिन्ट मीडिया अंग्रेज़ी के क्षेत्र में सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर गहरी पकड़ के साथ रचनात्मक पत्रकारिता और लेखन के लिए ‘‘मधुकर खेर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार’’ से सम्मानित किया जाएगा।श्री समीर शुक्ला का जन्म 8 नवंबर 1968 को रायपुर में हुआ था। आप 1996 से सेन्ट्रल क्रानिकल से जुड़े और कला, संस्कृति, राजनीति और व्यापार आदि क्षेत्रों में रिपोर्टिंग की। आप बस्तर के नक्सल हिंसा पर आधारित पुस्तक ‘एन एल्यूसिव गेम’ के लेखक हैं। आप मई 2013-14 और 2014-15 में विधानसभा प्रेस सलाहकार समिति के सदस्य रह चुके हैं और समिति के भूटान, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों के प्रवास के दौरान राजनेताओं से हुए भेंट की रिपोर्टिंग भी की है।

दानवीर भामाशाह सम्मान
क्षेत्र: दानशीलता सौहार्द्र एवं अनुकरणीय सहायता
समाज कल्याण विभाग

श्रीमती दिनेश कुमारी चतुर्वेदी को निःशुल्क चिकित्सा शिविर, महिला जागृति शिविर, महिला सशक्तीकरण के अन्तर्गत महिलाओं को साक्षर करने तथा स्वरोजगार से जोड़ने के लिए अनुकरणीय कार्य करने हेतु ‘‘दानवीर भामाशाह सम्मान’’ से नवाजा जाएगा। छत्तीसगढ़ के ग्राम-सुरपा, तहसील-पाटन, जिला-दुर्ग निवासी श्रीमती दिनेश कुमारी चतुर्वेदी ने 8 एकड़ जमीन जिसकी लागत लगभग रूपये 1.00 करोड़ होगी, शिक्षा विभाग को हायर सेकण्डरी स्कूल तैयार कर प्रदान किया। आपके द्वारा सामाजिक सौहार्द तथा समाज सेवा के स्थायी कार्यों में जनभागीदारी को बढ़ावा देने तथा सामाजिक चेतना का अच्छा वातावरण विकसित करने हेतु विभिन्न धर्मार्थ एवं सामाजिक संस्थाओं को रूपये 15 लाख 50 हजार से अधिक की सहायता राशि दी गई है। दानशीलता एवं समाज सेवा के क्षेत्र में किए गए अनुकरणीय कार्य के लिए पहले भी आपको मिनी माता अमृत सम्मान, नारी शक्ति सम्मान, स्त्री शक्ति पुरस्कार, कस्तूरबा फेलोशिप सम्मान, सामाजिक समरसता सम्मान, छत्तीसगढ़ नारी गौरव सम्मान आदि से विभूषित किया गया हैै।

धन्वन्तरी सम्मान
क्षेत्र: आयुर्वेद चिकित्सा
स्वास्थ्य विभाग

डॉ0 मनोहर लाल टेकचंदानी  को आयुर्वेदिक चिकित्सा के वैज्ञानिक युग में पुनर्प्रतिष्ठा करने, स्वतंत्र स्वास्थ्य परामर्श कक्ष के साथ ‘‘वैद्यशाला‘‘ नामक संस्था की स्थापना, आयुर्वेद चिकित्सा के अथक प्रचार प्रसार करने के लिए ‘‘धन्वन्तरी सम्मान‘‘ से विभूषित किया जाएगा।  डॉ0 मनोहर लाल टेकचंदानी का जन्म 22 मार्च 1948 को दुर्ग, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़ में हुआ। आपने बी.ए.एम.एम. की उपाधि वर्ष 1969 में शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय रायपुर, पं. रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ से प्राप्त की। आप शासकीय सेवा में सन् 1971 में वैद्य प्रथम श्रेणी के पद पर जिला बैतूल में कार्यभार ग्रहण किये। 1973 से 1980 तक आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के पद पर विभिन्न शासकीय आयुर्वेद औषधालयों में तथा सन् 1980 से 1999 तक जिला आयुर्वेद चिकित्सालय बिलासपुर में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। सन् 1999 में सम्भागीय अधिकारी आयुर्वेद संभाग बिलासपुर तथा सन् 2002 से 2010 तक जिला आयुर्वेद अधिकारी एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आयुष विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के नोडल अधिकारी के रूप में सफलता पूवर्क कार्य किए । सेवानिवृत्त होने के पश्चात स्वतंत्र स्वास्थ्य परामर्श कक्ष के साथ ‘‘वैद्यशाला‘‘ नामक संस्था की स्थापना के मुख्य चिकित्सक के रूप में अन्य पांच वैद्यों के साथ आयुर्वेद चिकित्सा एवं पंचकर्म के कार्य का निरंतर सम्पादन कर रहे हैं। साथ ही साप्ताहिक एवं समय-समय पर प्रमुख रूप से सप्ताह में एक बार प्रत्येक गुरूवार को निःशुल्क आयुर्वेद परामर्श एवं चिकित्सा कार्यो हेतु शिविर लगाये जा रहे हैं । आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिए आपको श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्रा.लि. नागपुर, गुजरात प्रांत की ऊंझा फार्मेसी, आध्यात्मिक संस्था मैनपुरी जिला-आगरा (उ.प्र.), म.प्र. और छ.ग. आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ द्वारा कई बार सम्मानित किया गया।

बिलासाबाई केंवटीन सम्मान
क्षेत्र: मछली पालन
मत्स्य विभाग

श्री सानेन्द्र कुमार बघेल को मत्स्य बीज उत्पादन एवं संवर्धन करने, मत्स्य उत्पादन, मत्स्य पालन हेतु अतिरिक्त जलक्षेत्र का विकास करने और मछली की प्रजातियों का संरक्षण करने के लिये ‘‘श्रीमती बिलासाबाई केंवटीन सम्मान’’ प्रदान किया जाएगा। श्री सानेन्द्र कुमार बघेल, पिता-श्री नरेश कुमार बघेल, ग्राम - कुरूदडीह, वि.खं. पाटन, जिला - दुर्ग निवासी हैं। आपने वर्ष 2015-16 में 3500 लाख स्पान, 124 लाख मेजर कार्प मत्स्य बीज का उत्पादन एवं संवर्धन किया है। आपने बीज उत्पादन पर 25.46 लाख रूपये व्यय किये और उत्पादित मत्स्य बीज को स्वयं के निजी तालाबों में संचित कर उनके विक्रय से आय रू. 34.52 लाख एवं शुद्ध आय रू. 9.06 लाख अर्जित किया। आपके द्वारा 1.50 हेक्टेयर जलक्षेत्र में 8.50 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन कर मत्स्य विक्रय से शुद्ध आय रूपये 2.45 लाख अर्जित किया गया। आपने मुर्गी पालन 20000 हजार वर्ग फीट में, 16000 चूजों का वर्ष में पाँच बार पालन किया और औसत आय रू. 4.00 लाख, बकरी पालन में व्यय रू. 3.41 लाख एवं विक्रय से आय रू. 5.32 लाख, शुद्ध आय रू. 1.91 लाख, देशी मांगुर पालन में कुल व्यय रू 1.30 लाख, विक्रय से आय रू 2.61 लाख, शुद्व आय रू 1.31 लाख अर्जित कर कीर्तिमान स्थापित किया है।

संस्कृत भाषा सम्मान
उच्च शिक्षा विभाग

डॉ. लक्ष्मीकांत शर्मा को देवभाषा संस्कृत की श्रीवृद्धि करने, अध्यापन, लेखन व संपादन कर्म से जनमानस में इसकी पुनर्प्रतिष्ठा की राह सुनिश्चित करने और प्राचीन भाषा के प्रति उनकी अप्रतिम ललक को प्रणति मानते, ‘संस्कृत भाषा सम्मान’ से नवाजा जाएगा।  डॉ. लक्ष्मीकांत शर्मा का जन्म 12 जून 1940 को रायपुर (छत्तीगढ़) में हुआ था। आपने एम.ए.-संस्कृत वर्ष-1963 में एवं एमए-हिन्दी वर्ष-1967 में की शैक्षिक योग्यता प्राप्त की और वैदिक एवं वैदिकेतर साहित्य के परिप्रेक्ष्य में इन्द्र विषय में वर्ष-1972 में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आपने सन् 1969 से 1973 तक शासकीय संस्कृत महाविद्यालय में एम.ए. क्लासिक्स तथा सन् 1974 से 1983 तक शासकीय संस्कृत महाविद्यालय में एक नये विषय के रूप में ज्योतिष का अध्यापन कार्य किया गया तथा सन् 1963 से 2000 तक दुर्गा महाविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में सेवायें प्रदान कीं। छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध श्रीदेव पंचांग के संपादन में सहयोग किया और वर्तमान में मुख्य संपादक के रूप में दायित्व का निर्वहन सफलतापूर्वक कर रहे हैं। आप विगत 55 वर्षों से ज्योतिषीय परामर्श एवं मार्गदर्शन में संलग्न रहे है। आपके द्वारा लिखे गये शोध लेख 1. ऋग्वेदीय असुर का स्वरूप, 2. प्राग्वैदिक साहित्य में इन्द्र, 3. इन्द्र के अभिधान, 4. जैन साहित्य में इन्द्र का स्वरूप, 5. अथर्ववेद-संहितायां इन्द्रस्य स्वरूप विमर्श, 6. बौद्ध धर्म में इन्द्र आदि उल्लेखनीय हैं। आपके द्वारा आकाशवाणी तथा दूरदर्शन में बहुविध वार्ताओं का प्रसारण, रेहियो रूपक कर्ण-भारम् का (कवि भास द्वारा लिखित नाटक का संस्कृत भाषा में) निर्देशन किया गया।

डॉ. भंवर सिंह पोर्ते सम्मान
क्षेत्र: आदिवासियों की सेवा और उत्थान
आदिम जाति कल्याण विभाग

छत्तीसगढ़ शासन, पुरखा के सुरता जन कल्याण समिति नेवई ग्राम चारभाठा, तहसील पाटन, जिला दुर्ग को लोककला संस्कृति का संरक्षण संवर्धन हेतु विभिन्न आयोजनों के माध्यम से आदिवासियों की सेवा और उत्थान का उल्लेखनीय कार्य करने के लिए ‘डॉ. भंवर सिंह पोर्ते सम्मान‘ से विभूषित किया जाएगा।    संस्था द्वारा आदिवासी संस्कृति, कला, भाषा के उन्नयन, उत्थान तथा अनुसूचित जाति और जनजाति केे बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने, निःशुल्क ट्यूशन की व्यवस्था करने, आदिवासी समाज के महिलाओं को जागृत करने हेतु महिला सम्मेलन, महिला जागृति कार्यशाला आदि आयोजनों के माध्यम से महिला साक्तिकरण को बढावा देने, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के महिलाओं को स्वरोजगार हेतु अगरबत्ती, मोमबत्ती, मशरूम, दोना-पत्तल आदि विषयों पर गांव के कम पढे लिखे महिलाओं को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार दिलाने, आदिवासी समाज एवं अनुसूचित जाति कों संगठित करने हेतु महिला सशक्तिकरण, बाल विवाह, नशाबंदी, दहेज प्रथा, स्वच्छ भारत अभियान, टीकाकरण, भ्रुण हत्या, पर्यावरण, वृक्षारोपण, लोककला प्रशिक्षण शिविर तथा प्रतिवर्ष विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन कर आदिवासी समाज को संगठित करने में मदद करना तथा सम्मान के वरिष्ठ समाज सेवी, कलाकार, साहित्यकार, महिला समाज सेवी एवं जनप्रतिनिधियों आदि का सम्मान, गांव के शाला त्यागी बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने तथा गरीब बच्चों को शिक्षा, स्कूल, कॉपी, किताब, पेंन पेंसिल हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करने का उल्लेखनीय कार्य किया जाता है।

पं. लखनलाल मिश्र सम्मान
क्षेत्र: अपराध अनुसंधान के क्षेत्र में
पुलिस विभाग

उप निरीक्षक श्री अमित पाटले को ‘पं. लखनलाल मिश्र सम्मान’ से विभूषित किया जाएगा। उप निरीक्षक अमित पाटले का जन्म 27 मई 1983 में ग्राम-बेलटुकरी, जिला जांजगीर-चांपा के कृषक परिवार में श्री इन्द्र भूषण पाटले के घर में हुआ। अमिल पाटले की नियुक्ति दिनांक 25 सितम्बर 2008 को पुलिस विभाग में उप निरीक्षक के पद पर हुई। इन्होंने पुलिस प्रशिक्षण अकादमी, चंदखुरी-रायपुर में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त किया । प्रशिक्षण पश्चात जिला कोरिया में 02 वर्ष तक परिवीक्षाधीन उप निरीक्षक के पद पर कार्य सम्पादित किया । तद्परान्त  वर्ष 2011 में जिला रायगढ़ में पदस्थ होकर वर्तमान में थाना कोतवाली अन्तर्गत पुलिस चौकी जूटमिल में प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं। सेवाकाल में इन्हें कुल 99 इनाम मिले है जिनमें सेवा पुस्तिका में प्रशंसा एवं नगद पुरस्कार शामिल है। उनका सेवा रिकार्ड भी उच्च कोटि का रहा है। दिनांक 24.02.2016 को पुलिस चौकी जूटमील जिला रायगढ़ में अप.क्र. 108/2016 धारा 363 भादवि के प्रकरण में 24 घंटे के भीतर अज्ञात आरोपी की पतासाजी कर गिरफ्तार करते हुए बालिका का शव बरामद कर प्रकरण से संबंधित भौतिक साक्ष्यों को संकलित करते हुए, रासायनिक परीक्षण की रिपोर्ट समयावधि में प्राप्त कर अपने उच्च बौद्धिक क्षमता एवं कार्यकुशलता का परिचय देते हुए साक्ष्यों को क्रमवार जोड़ते हुए, प्रकरण के आरोपी को दिनांक 25.02.2016 को गिरफ्तार कर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट टेªेक कोर्ट, रायगढ़ में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। फलस्वरूप दिनांक 17.06.2016 को न्यायालय द्वारा आरोपी को मौत की सजा सुनाई गई।
-----------------------------------------------------------

राजकीय सम्मानों के पैनल में शामिल होने वाले सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई प्रेषित करता हूं इस ब्लॉग् के माध्यम से। साथ ही उन सभी सम्मानित महानुभवों को बहुत—बहुत बधाई...

Jayant sahu_जयंत




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

POPULAR POSTS