मंत्रियों की सम्पत्ति ब्योरें में कितनी सचाई!

चुनाव के दौरान नामांकन दाखिल करते वक्त चुनाव आयोग के सामने प्रत्याशी अपनी-अपनी संपत्ति का ब्योरा देते हैं। कोई करोड़पति तो कोई लखपति और कई अरबपति होकर भी हजारी है, शपथपत्र के अनुसार। जो पहिली बार भाग्य आजमा रहे उनकी संपत्ति में हेरफेर तो समझ आता है पर जो जीत का स्वाद चख चुके है और विगत कई सालों तक मंत्री पद पर सुशोभित रहे है उनकी भी संपत्ति ज्यों कि त्यों है!

              क्या वे अपने कार्यकाल में कुछ भी जमा पूंजी नहीं बना पाये है? ऐसा तो संभव ही नहीं है। कालेधन और काली कमाई की बाते छोड़कर भी हम ऑकलन लगाये तो भी पांच साल में दूगुना हो सकता है लेकिन मंत्री महोदय तो दस साल तक मालदार पद में रहने के बाद भी कुछ धन जमा नहीं होने की बात अपने शपथपत्र में कर चुके है। अगर उन तथ्यों में वास्तविक्ता है तो मंत्री महोदय देश के लिए अनुशर्णीय है, और यदि सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं होने की बात कर रहे है तो जनता अंधी और बहरी नहीं है। जनता सब देख और सुन रही है किन्तु चुनाव आयोग को देखना और समझना होगा की मात्र शपथपत्र में हस्ताक्षर करके अपनी संपत्ति का ब्योरा दे रहै है उनमें कितनी सच्चाई। दिये गये संपत्तियों के ब्योरंे को देखा जाए तो हकीकत कुछ और ही होती है। एक तरफ तो सरकार परिवार में पति-पत्नि, मां-बाप , बेटा-बेटी इनको भी परिवार का हिस्सा मानती है। वहीं दूसरी तरफ नामांकन दाखिले में प्रत्याशी केवल अपने ही नाम के संपत्ति का ब्योरा प्रस्तुत करता है।
    क्या पद में रहते हुए वे अपनों को लाभ नहीं पहुंचाया होगा, अपने रिस्तेदारों के नाम पर या अन्य किसी के नाम पर कोई कितनों ही धन जमा कर सकता है? वर्तमान में एक मंत्री ने अपने शपथ में लिखा है उनके पास कोई वाहन ही नहीं। गौर करने वाली बात है हर वक्त एयर कंडिशन में रहने वाले, हाईप्रोफाईल सोसाइटी के घर पर कैसे कोई वाहन नहीं है? यदि उनकी वास्तविक कमाई को देखा को जाए तो पांच साल में वे एक पाई भी अपने जेब से खर्च नहीं करते है सारा सामान तो शासन उपलब्ध करता है। घरेलु सामान से लेकर वाहन और फोन का बिल भी मुफ्त का। ऐसे में उनका पगार तो पूरा जमा हो जाता है, भत्ता और उपरी कमाई सो अलग। अब नामांकन के समय में यदि वे कुछ छिपाते है तो साफ तौर पर लोगों को बेवकुफ बनाने वाला काम है। इस ओर चुनाव आयोग को विशेष रूप से नियमों में कड़ाई करनी होगी। प्रत्याशियों की संपत्ति का ब्योरा प्रस्तुत करने के उपरांत उस शपथपत्र के संपत्ति और अन्य जानकारी की बारिकी से परीक्षण होना चाहिए, असत्य पाये जाने पर दंड का भी प्रावधान हो।

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